गोभी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता पॉलीसल्फेट

शोध बताता है कि रोपण से पहले डाला गया पॉलीसल्फेट, गोभी की गुणवत्ता और बेचने योग्य उपज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

November 25, 2021
2मिनट

तुर्की में गोभी के लिए विभिन्न खाद मिश्रणों के अनुसंधान ने यह दिखाया है कि रोपण से पहले डाला गया पॉलीसल्फेट इस अत्यधिक मूल्यवान फसल की गुणवत्ता और बेचने योग्य उपज के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

 

गोभी की पोषण आवश्यकताओं को समझना

गोभी तुर्की में सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने के कारण, अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान (आईपीआई) के सहयोग से तुर्की के ‘ईज विश्वविद्यालय’ और ‘बाटी अकडनिज कृषि अनुसंधान संस्थान’ के शोधकर्ताओं ने जांच की कि उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस के अलावा और किस फसल पोषण की आवश्यकता होती है, खासकर जब पोटेशियम और सल्फर इस फसल के प्रदर्शन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

अनुसंधान दल ने दक्षिणी तुर्की में पत्तागोभी की उपज और गुणवत्ता पर विभिन्न उर्वरकों के प्रभाव का व्यापक ज़मीनी अध्ययन किया। तीन अलग-अलग पोटेशियम स्रोतों के साथ इस अध्ययन का उद्देश्य यह स्थापित करना था कि कौन सी फसल पोषण रणनीति सर्वोत्तम परिणाम दे सकती है।

 

सबसे अच्छी उपज के लिए माप-तौल

परिणाम बताते हैं कि ‘म्यूरेट ऑफ पोटाश’ (एमओपी) के प्रयोग से गोभी की फसल के प्रदर्शन में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही सल्फर (या तो पॉलीसल्फेट, या पोटाश के सल्फेट-‘एसओपी’ के रूप में) डालने से उपज और गुणवत्ता में और भी सुधार हुआ। सबसे अच्छा परिणाम ‘एसओपी’ के साथ पॉलीसल्फेट के मिश्रण को डालने से था। कंट्रोल सैम्पल की तुलना में गोभी की बिक्री योग्य उपज में 60% की वृद्धि हुई। इसके अलावा, उस मिश्रण के परिणामस्वरूप गोभी का आकार बढ़ा, उसके पोषक तत्व बढ़े यानि गुणवत्ता में वृद्धि हुई।

इस तरह के शोध पॉलीसल्फेट की बहुमुखी गुणों का संकेत देते हैं: जब उसे अकेले या अन्य उत्पादों के साथ संयुक्त रूप से एक निश्चित पोषण रणनीति के तहत इस्तेमाल किया जाता है। तुर्की के जो किसान अपनी गोभी की उपज और व्यापार बढ़ाने के इच्छुक हैं उनके लिए आज की तारीख में यह फसल पोषण की रणनीति और उनके तरीकों को विकसित करने में उपयोगी साबित हो रहा है।

 

संदर्भ

गोभी की उपज और गुणवत्ता पर विभिन्न प्रकार के पोटेशियम और सल्फेट खाद के प्रभाव पर पूरा पेपर अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान द्वारा प्रकाशित ई-आईएफसी नंबर 56 में प्रकाशित किया गया है।