मकई के खेती के लिए खाद की विशेषता | Makke ke kheti ke liye khad
मकई के उर्वरीकरण, सर्वोत्तम तरीके, उपयुक्त प्रोडक्ट्स, ज़मीनी परीक्षण और बहुत कुछ जो आपको जानने की आवश्यकता है।
मकई (Zea mays) उगाने के लिए सुझाव
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मकई के लिए मिटटी का 6.0 और 7.2 के बीच का पीएच अनुकूल है। हालांकि यह चूने वाली मिट्टी में 8.5 तक के पीएच के साथ भी अच्छा प्रदर्शन भी करता है, विशेष रूप से सिंचित परिस्थितियों में। यह भारतीय भूगोल के अधिकांश मिट्टी जैसा है, जहाँ अधिकांशतः पीएच 6.5 से अधिक है।
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पोटैशियम वह पोषक तत्व है जो मकई सबसे अधिक मात्रा में अवशोषित करता है। इस पोषक तत्व के गहन अवशोषण की अवधि छठी पत्ती (बीबीसीएच 16) की उपस्थिति के क्षण से शुरू होती है और कोब (बीबीसीएच 59) के पूर्ण गठन तक जारी रहती है।
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रेतीली मिट्टी में इस बात की संभावना है कि पोटैशियम जड़ों के क्षेत्र से हट कर पृथक हो जाए।
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अच्छा पोटेशियम पोषण सूखे वर्षों में पौधों की पानी की कमी से जूझने की क्षमता में सुधार करता है।
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मक्का एक गर्म मौसम की फसल है और इसलिए गर्म महीनों में तापमान 25º से 30º सेल्सियस तक होने पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है।
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जब गर्मी का औसत तापमान 19° सेल्सियस से कम होता है तो मकई की फसल उससे दुष्प्रभावित होती है । फूलों के आने और परिपक्वता की अवधि के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभावी बंधन की प्रक्रिया 25° सेल्सियस पर सक्रिय होता है। औसत दैनिक तापमान 26° सेल्सियस से ऊपर अंकुरण प्रक्रियाओं को तेज कर सकता है, जबकि 15.5° सेल्सियस से कम तापमान उन्हें कम कर सकता है।
मकई में नाइट्रोजन की कमी
सल्फर की कमी को दर्शाता मकई की पत्तियों का पीला पड़ना
पोषक तत्वों की आवश्यकताएँ
N | P2O5 | K2O | Mg | SO3 | Ca | |
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किलो /हेक्टेयर | किलो /हेक्टेयर | किलो /हेक्टेयर | किलो /हेक्टेयर | किलो /हेक्टेयर | किलो /हेक्टेयर | |
औसत ग्रहण यूनिट (किलो/टन) सूखा अनाज + पुआल | 20-33 | 11-14 | 28-37 | 5 | 4 | 7 |
तालिका 1. अनाज के लिए उगाई गई मकई द्वारा पोषक तत्वों का ग्रहण [ग्रज़ेबिज़, 2007]
मौसम के दौरान मकई में पोषक तत्वों की ग्रहणशीलता
पोषक तत्वों की भूमिका
मुख्य पैरामीटर | N | P2O5 | K2O | MgO | CaO | SO3 |
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उपज | ++ | + | ++ | + | + | + |
भुट्टे में दानों की संख्या | + | + | ++ | + | + | + |
प्रोटीन सामग्री | ++ | + | + | ++ | + | ++ |
वानस्पतिक वृद्धि | ++ | + | + | ++ | + | ++ |
पोषक तत्वों की कमी
Nutrient | Description | |
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नाइट्रोजन | पत्ती के लक्षण: नई पत्तियाँ हल्के पीले या हल्के हरे रंग में बदल जाती हैं, पूरे पत्तों में समान रूप से। नोकों और मध्य शिराओं की प्रारंभिक जीर्णता। बाद में, वी-आकार का पीलापन पत्तियों की नोकों पर दिखाई दे सकता है। पुरानी निचली पत्तियों पर पीलापन शुरू हो जाता है और पौधे में ऊपर की ओर बढ़ता है। डंठल पतले और नुकीले होते हैं। फूल आने में देरी होती है। कम वानस्पतिक शक्ति। जड़ प्रणाली कम उर्वर हो जाती है, जिससे अन्य पोषक तत्वों का अवशोषण धीमा हो जाता है। मकई के बीच वाले भाग के नोक के अधूरे विकास के कारण कम उपज होती है। |
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फ़ॉस्फ़ोरस | फास्फोरस की कमी फास्फोरस की अपर्याप्त उपलब्धता, या ठंड, गीली, या जमी हुई मिट्टी के कारण जड़ों से पोषक तत्वों का ग्रहण कम होने के कारण हो सकती है। पत्ती के लक्षण: गहरे हरे पत्ते; गहरा बैंगनी/पीला जलन के निशान - यह बैंगनी रंग पूरी पत्ती पर फैल सकता है। घटी हुई पैदावार, विलंबित परिपक्वता। धीमी विकास दर, पौधों के मरने की गंभीर स्थिति। |
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पोटैशियम | पोटैशियम की कमी के लक्षण अपर्याप्त पोटैशियम उपलब्धता का परिणाम हैं। आमतौर पर, यह पोटैशियम (K+), कैल्शियम (Ca2+), मैग्नीशियम (Mg2+) और अमोनियम (NH4+) के बीच मिट्टी के असंतुलन के कारण होता है। पत्तियों के लक्षणों में गहरे हरे रंग की पत्तियाँ शामिल हैं जो मुख्य रूप से निचली पत्तियों पर दिखाई देती हैं, पत्ती के किनारों पर पीलेपन के साथ भूरे रंग की धारियों और सूखेपन में प्रदर्शित होती है। पुराने पौधों में पत्तियों के सिरों और किनारों पर भूरापन दिखाई देता है। छोटे और दोषपूर्ण गुठली के सिरे के कारण उपज कम हो जाती है। | |
कैल्शियम | पत्तियों के लक्षण युवा पत्तियों पर शुरू होते हैं, जो हल्के हरे रंग, सफेद धब्बे, या धारियों वाले घावों को प्रदर्शित करते हैं और अक्सर पीछे की ओर झुके रहते हैं। | |
मैग्नीशियम | पत्तियों के लक्षण हमेशा पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। गहरे पीले रंग के अंतरशिरा हरित हीनता के साथ हरे-पीले पौधे जो आगे चल कर जंग-भूरे या बैंगनी परिगलन की ओर अग्रसर होते हैं। | |
सल्फ़र | पत्ती के लक्षण: पत्तियों पर पीले रंग की धारियों के पैटर्न के रूप में मौजूद होते हैं। सबसे पहले, नई पत्तियों पर, बिना सूखेपन के। शिराओं के बीच का स्पष्ट पीलापन। पत्तियों की लंबाई में शिराएँ दिखाई देती हैं। पौधे कम वानस्पतिक शक्ति प्रदर्शित करते हैं। सल्फ़र की कमी की गंभीर अवस्था में पौधे छोटे रह जाते हैं। | |
बोरॉन | पत्ती के लक्षण: पीले, सफेद या पारदर्शी परिगलित धब्बे। छोटी गांठों के कारण डंठल काम ऊँचाई के रह जाते हैं। छोटे और दोषपूर्ण गुठली के कारण उपज में काफी कमी आती है। | |
कॉपर | पत्ती के लक्षण: युवा पत्ते एक नीले-हरे रंग का रंग विकसित करते हैं और कोंपल से बाहर निकट हुए लिपटे हुए से दीखते हैं। पुरानी पत्तियों के सिरे और किनारे मुरझा जाते हैं, पूरे सफ़ेद हो जाते हैं और मर सकते हैं। पोटैशियम की कमी के समान ही पुराने पत्तों के किनारों का कुछ परिगलन होता है। बढ़ते हुए कोंपल मर जाते हैं, जो अक्सर छोटे गांठों के बाद होता है। डंठल मुलायम और मुड़ा सा हो जाता है। | |
आयरन | पत्ती के लक्षण: ग्रीष्म ऋतु में युवा पत्तियों के अंतःशिरा क्षेत्रों का पीलापन, जबकि शिराएं और मध्य-शिरा हरी ही रहती हैं। गंभीर मामलों में, पत्तियां लगभग सफेद हो सकती हैं। आकार में कमी होती है। | |
मैंगनीज | पत्ती के लक्षण: युवा और मध्यम आकार की पत्तियाँ जैतून-हरे रंग की हो जाती हैं और पत्ती के मध्य भाग में एक समान, सफेद-पीली धारियाँ विकसित हो जाती हैं। पत्ती से मृत ऊतक गिरने के कारण धारियाँ परिगलित हो जाती हैं। लक्षण लोहे के समान हैं। मैंगनीज़ की कमी की पुष्टि करने के लिए पत्ती के ऊतकों का विश्लेषण आवश्यक है। | |
ज़िंक | पत्ती के लक्षण: पत्ती के निचले आधे हिस्से के पास या मध्यशिरा के प्रत्येक तरफ एक हल्के पीले-हरे क्लोरोटिक धारी, जो आगे बढ़ कर हल्के भूरे या भूरे रंग के परिगलन की ओर अग्रसर होते हैं। विकास के चरणों V2-V8 में लक्षण सबसे अधिक देखे जाते हैं। |
नाइट्रोजनकी कमी |
फ़ॉस्फोरस की कमी |
पोटैशियम की कमी |
पोटैशियम की कमी |
मैग्नीशियम की कमी |
ज़िंक की कमी |
सल्फर की कमी |
सल्फर की कमी |
प्रश्न एवं उत्तर
मकई के संबंध में किसानों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न।
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मकई की फसलों को पानी की कमी वाले समय से निपटने में मदद करने के लिए पोटेशियम मुख्य पोषक तत्व है। पोटेशियम पौधों के जल संतुलन को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा मैग्नीशियम भी जरूरी है। पत्तियों में मैग्नीशियम की सही मात्रा वाली फसलें गर्मी के दिनों में उच्च तापमान की अवधि का बेहतर सामना करती हैं।
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इस मामले में, हमें बायोमास (हरित चारा अथवा खाद) उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए मिट्टी में और पत्तियों पर (पत्तों पर छिड़काव का उपयोग करके) अतिरिक्त नाइट्रोजन और मैग्नीशियम लगाने की आवश्यकता हो सकती है।
हमें यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि फसल के समय पोषक तत्वों का हटना बाकी अनाज की तुलना मैं मकई में अधिक होता- विशेष रूप से पोटेशियम। इस प्रकार हमें मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल चक्र में पोषक तत्वों की वापसी के लिए आवश्यक अतिरिक्त उर्वरकों की योजना बनाने की आवश्यकता है।
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33.444 किलोग्राम अनाज प्रति हेक्टेयर ! 2017 में, डेविड हुला ने वर्जीनिया में अपने स्वयं के खेत में यह विश्व रिकॉर्ड हासिल किया, जिसके लिए उन्हें उस वर्ष के लिए यूएसए के नेशनल एसोसिएशन ऑफ कॉर्न प्रोड्यूसर्स (NCGA) से सम्मानित किया गया।
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इन युवा मक्का के पौधों पर बैंगनी रंग फॉस्फोरस की कमी की तरह दिखता है, लेकिन यह वास्तव में एक किस्म की विशेषता है। कुछ किस्मों के युवा पौधों का यह बैंगनी रंग पौधे के उद्भव और स्थापना के दौरान कम तापमान की वजह से होता है। ऐसे में इस अवस्था में यह किसी पोषक तत्व की कमी नहीं है।
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सिंचाई का उपयोग करके उत्पादित मकई के लिए, पानी की मात्रा सीधे वातावरण की बाष्पीकरणीय मांग से जुड़ी होती है। बाष्पीकरणीय मांग दृढ़ता से हवा की नमी, तापमान और हवा से संबंधित है।
बायोमास बढ़ने से फसल की पानी की मांग भी बढ़ेगी। अपनी सिंचाई योजना में विशिष्ट सहायता के लिए अपने स्थानीय फसल सलाहकार से संपर्क करें।
सभी मामलों में, पानी की आपूर्ति धीरे-धीरे होनी चाहिए, क्योंकि फसल मिट्टी के पानी के भंडार का उपयोग करती है। एक बार में बहुत अधिक पानी देने से पौधे पर दबाव पड़ेगा।
सैटेलाइट इमेजरी, जो अब कई प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से उपलब्ध है, सिंचाई की एकरूपता की जांच करने और समस्याग्रस्त स्थानों की पहचान करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपकरण है।
जहां सिंचाई करके मकई का उत्पादन किया जा रहा हो, वहां पानी की आपूर्ति सीधा-सीधा वातावरण के कारन हो रहे वाष्पीकरण की स्थितियों पर निर्भर करती है। यह वाष्पीकरण की स्थिति निर्भर करती है हवा की नमी, तापमान और हवा की गति पर। जैसे-जैसे फसल में बायोमास बढ़ेगा, उसकी पानी की मांग भी बढ़ेगी। अपनी सिंचाई योजना में किसी विशेष सहायता के लिए अपने स्थानीय कृषि सलाहकार से संपर्क करें।
वैसे इन सभी मामलों में पानी की आपूर्ति धीमी होनी चाहिए क्योंकि फसलें मिट्टी द्वारा सोखे गए पानी का उपयोग करती हैं इसलिए एक बार में बहुत अधिक पानी देने से पौधों पर दबाव पड़ता है। सेटेलाइट द्वारा लिए गए छायाचित्र, जो अब कई प्लेटफार्म पर व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, वह सिंचाई की एकरूपता की जांच करने और समस्याग्रस्त स्थानों की पहचान करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपकरण हैं।