पॉलीसल्फेट के फायदे और प्रमाण | Polysulphate ke fayde aur praman
शोध में भारत की प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, धान, गन्ना, सोयाबीन और कपास आदि में पॉलीसल्फेट खाद का योगदान प्रदर्शित हुआ।
भारत में विस्तृत शोध से पता चलता है कि पॉलीसल्फेट खाद फसल उत्पादकता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पॉलीसल्फेट, जो आईसीएल के अद्वितीय पॉलीहलाइट खाद का ट्रेडमार्क है, के प्रमुख भारतीय फसलों की एक विस्तृत श्रृंखला पर अब और भी अधिक परीक्षणों के लिए यह प्रमाण अब रस्ते खोल रहा है।
पॉलीसल्फेट की क्षमता को पहचानना
खाद के बढ़ते उपयोग ने भारतीय कृषि को बढ़ावा देने में मदद की है, लेकिन पोषण संबंधी असंतुलन फसल उत्पादकता के लिए एक बड़ी रुकावट बना हुआ है। उपयोग किए जाने वाले उर्वरकों में से लगभग एक तिहाई पोटाश उर्वरक हैं, लकिन पॉलीसल्फेट – कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर और पोटेशियम की आपूर्ति करने वाले प्राकृतिक जटिल खनिज खाद, की पूरी क्षमता की अब तक गहराई से जांच या पहचान नहीं की गई थी।
फील्ड अनुसंधान फैसिलिटीज में किये गए महत्वपूर्ण शोध कार्य से पॉलीसल्फेट की पोषक तत्वों की आपूर्ति क्षमता का पता चलता है, ख़ास कर सोयाबीन एवं चावल जैसी फसलों के लिए। कम पोषक तत्वों वाली आम भारतीय रेतीली मिट्टी के साथ एक हांडी में चावल पर किये परिक्षण से इस बात के पुख्ता सबूत मिलते हैं कि पॉलीसल्फेट एक प्रभावी खाद है।
सल्फर की आपूर्ति फसलों की आवश्यकतानुसार
इस बीच, एक सोयाबीन फील्ड परीक्षण से पता चला है कि पॉलीसल्फेट खाद में गैर-जुताई प्रणालियों के उत्पादन में सुधार करने की काफी क्षमता है, खासकर कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी वाली मिट्टी में। इसके अलावा, यह उतना ही अच्छा प्रदर्शन करता है जितना की पोटेशियम क्लोराइड खाद, लेकिन बिना क्लोराइड के प्रतिकूल प्रभाव के।
लेकिन इन सबसे अधिक, शोध के निष्कर्षों में पॉलीसल्फेट का जो प्रमुख लाभ सामने आया है, वह है इसका सल्फर की आपूर्ति करना। सल्फर पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है। भारत की प्रमुख फ़सलें – धान, गेहूँ, गन्ना, सोयाबीन, टमाटर, और कपास – सभी को महत्वपूर्ण सल्फर की आवश्यकता होती है और इसलिए उन्हें पॉलीसल्फ़ेट खाद से बहुत लाभ हो सकता है। इन सभी फसलों पर इस सन्दर्भ में व्यापक शोध जारी है। यह भारतीय फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण खाद के रूप में पॉलीसल्फेट की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में अगला कदम है।
सन्दर्भ
फसल परीक्षणों को देखें