कॉफी प्लांटेशन की खाद नीति असंतुलन समाधान | Coffee plantation ki khad neeti asantulan samadhan
मिट्टी विश्लेषण एवं आवश्यक पोषक तत्वों की पहचान से तैयार खाद नीति द्वारा कॉफी की उपज में में आती वृद्धि
संतुलित उर्वरक सलाह का समय उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पोषक तत्वों के सही मिश्रण के प्रयोग का समय। भारत के किसान खाद डालने की अवधि में जब कॉफी की पैदावार में हो रही गिरावट को पलटने की शुरुआत कर रहे हों, ऐसे समय में उनके प्रशिक्षण के प्रावधान से यह बात स्पष्ट होती है।
संतुलित पोषण के अभाव में कॉफी की पैदावार प्रभावित होती है
उड़ीसा, आंध्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक इस देश के शीर्ष कॉफी उत्पादक राज्य हैं। हालांकि भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है, पर उसकी उपज और गुणवत्ता उल्टी उत्साहवर्धक नहीं दिखती। दक्षिणी क्षेत्र में ‘एसोसिएशन ऑफ कॉफ़ी प्रोड्यूसर्स ऑफ़ तमिलनाडु’ के सदस्यों के लिए यही स्थिति है, जो विशिष्ट किस्म की कॉफ़ी के उत्पादन और व्यावसायीकरण के माध्यम से अपने किसानों और उनके परिवारों के जीवन में सुधार करना चाहते है।
जैसा कि आईसीएल के कृषि विज्ञानीयों ने पाया, कई कॉफी किसान मिट्टी विश्लेषण का उपयोग नहीं करते। उनके एनपीके स्रोतों को कॉफी संयंत्रों द्वारा अधिकांशतः लागत के अनुसार चुना और उपयोग किया जाता था, फसल की आवश्यकता के अनुसार नहीं। यह असंतुलित पोषण उनकी उपज को 1.5 टन/हेक्टेअर से भी कम कर रहा है। कटाई के बाद कॉफ़ी के पत्तों के जीर्ण होने और कॉफी बागानों की साल-दर-साल काम उपजाऊ होते जाने का भी यह मुख्य कारण है।
कौशल, आशाएं और कॉफी उत्पादन को ऊपर करना
आईसीएल के खाद उपयोग प्रशिक्षण दिवस के दौरान किसानों को उपज क्षमता को मौजूदा सीमाओं से आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी गई और बताया गया कि किस प्रकार मिट्टी विश्लेषण से एक उर्वरक रणनीति विकसित करने में मदद मिल सकती है।
कॉफी बागानों में आईसीएल फर्टिलाइजरप्लस के प्रोडक्ट ‘पॉलीसल्फेट’ या ‘आईसीएल पोटाशप्लस’ को लागू करने की सिफारिश की गई। कॉफी की फसल की आवश्यकताओं के लिए ये उत्पाद K, Ca, Mg और S (पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं सल्फर) के सन्दर्भ में एक अच्छा मेल हैं – विशेष रूप से दक्षिणी क्षेत्र की मिट्टी में, जहाँ आमतौर पर यह चार तत्व अपने उचित स्तर से नीचे होते हैं। कृषि सलाह द्वारा किसानों को पॉलीसल्फेट प्रोडक्ट्स को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के बेहतर स्रोतों के साथ सही मात्रा में मिलाने का निर्देश भी दिया गया।
आज की तारिख में कुछ किसान इन प्राप्त सुझावों के अनुसार पॉलीसल्फेट का उपयोग करना शुरू कर चुके हैं जिससे वह और बेहतर कॉफी उपज, गुणवत्ता और लाभप्रदता प्राप्त करने के रास्ते पर हैं।