गाजर के खेती के लिए खाद की विशेषता | Gajar ke kheti ke liye khad
गाजर के उर्वरीकरण, सर्वोत्तम अभ्यास, उपयुक्त उत्पाद, ज़मीनी परीक्षण और इसके साथ जो कुछ भी आप जानना चाहते हैं।
गाजर (Daucus carota) उगाने के लिए सुझाव
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गाजर हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक उगाई जाने वाली सब्जियों में से एक है।
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उचित जड़ विकास के लिए गाजर की फसलों को गहरी, ढीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।
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अनुकूल पीएच रेंज 5.5 और 7.0 के बीच है।
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मिट्टी का पीएच 5.5 से काम होने पर गाजर में फॉस्फेट, मोलिब्डेनम और कैल्शियम की कमी होने की आशंका रहती है।
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मिट्टी का पीएच 7.5 से अधिक होने पर बोरोन, कॉपर, आयरन, मैंगनीज, फॉस्फेट और जिंक की कमी होने की संभावना होती है।
अनुकूल स्थिति में गाजर की कटाई
गाजर की बढ़ती फसल
पोषक तत्वों की आवश्यकताएँ
अनुमानित पोषक तत्व ग्रहण (किलोग्राम / टन):
प्रारंभिक-मध्यम-पछेती किस्में (60 टन/हेक्टेयर) | N किलो /टन | P2O5 किलो /टन | K2O किलो /टन | MgO किलो /टन | CaO किलो /टन |
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पत्तियाँ | 60 | 21 | 170 | 13 | 70 |
जड़ | 80 | 12 | 151 | 8 | 18 |
कुल | 140 | 33 | 321 | 21 | 88 |
पछेती और बहुत पछेती किस्में (140 टन/हेक्टेयर) | N किलो /टन | P2O5 किलो /टन | K2O किलो /टन | MgO किलो /टन | CaO किलो /टन |
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पत्तियाँ | 40 | 9 | 97 | 17 | 126 |
जड़ | 110 | 69 | 303 | 17 | 56 |
कुल | 150 | 78 | 400 | 34 | 182 |
मिट्टी की उर्वरता पर निर्भर करता है, कि कौन से पोषक तत्वों का परामर्श दिया जाए।
गाजर की फसल में उच्च नमक सांद्रता की संभावना बनी रहती है, विशेष रूप से अंकुरण की अवस्था में।
उर्वरीकरण के तरीके
नाइट्रोजन
किसी दानेदार उर्वरक का उपयोग करके, मिट्टी में लगभग 80 किग्रा/हेक्टेयर एन माइनस एन-खनिज (0-60 सेमी) फसल के बोने से पहले लगाएं। बाकी को पूरे फसल चक्र की अवधि में या तो साप्ताहिक आधार पर, फर्टिगेशन के माध्यम से, या पारंपरिक दानेदार एन-आधारित उत्पादों के 2-3 प्रयोगों के अंदर विभाजित किया जा सकता है।
हालांकि, गैर-फर्टिगेटेड फसलों में, यदि नियंत्रित रिलीज फर्टिलाइजर्स (सीआरएफ) का उपयोग किया जाए तो बुवाई से पहले पूरे नाइट्रोजन उर्वरण को बार बार के बजाए एक बार में डाला जा सकता है।
फास्फेट
बीज बोने से पहले, एक बार में ही, फसल चक्र की शुरुआत में डाला जा सकता है।
पोटैशियम
पोटेशियम भी नाइट्रेट जितनी हे आसानी से लीच (घोल से अलग होकर मिटटी में अलग हो जाना) हो जाता है, इसलिए जहाँ फसलों के लिए फर्टिगेशन की व्यवस्था नहीं है वहां उनके लिए आवश्यक मात्रा को पारंपरिक पोटैशियम उर्वरकों के 2-3 अनुप्रयोगों में विभाजित किया जाना चाहिए; यदि कोटेड पोटैशियम-आधारित उत्पाद हो तो बोने से पहले केवल एक बार उपयोग करना चाहिए।
जहाँ फसलों के लिए फर्टिगेशन की व्यवस्था है, वहां फसलों में साप्ताहिक आधार पर पोटेशियम की आपूर्ति करने की पुरजोर सिफारिश की जाती है।
मैग्नीशियम
बोने से पहले, फसल चक्र की शुरुआत में, मैग्नीशियम पूरी मात्रा में डाला जाना चाहिए। उसके अतिरिक्त, बाद में पत्तों पर छिड़काव वाले उर्वरकों के प्रयोग से फसल के प्रदर्शन में और सुधार होता है।
कैल्शियम
बीज बोने से पहले, फसल चक्र की शुरुआत में, पूरी मात्रा में डाला जा सकता है।
प्रश्न एवं उत्तर
गाजर के संबंध में किसानों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न।
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बेशक, सभी पोषक तत्व महत्वपूर्ण हैं, लेकिन गाजर की (त्वचा) गुणवत्ता के लिए पोटेशियम और कैल्शियम बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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पोटेशियम क्लोराइड गाजर के शर्करा के स्तर में सुधार करता है। जहाँ भारी मिटटी हो , वहां इसे बोने से 1-2 महीने पहले लगाना चाहिए, जबकि बहुत हल्की मिट्टी में इसे बोने से 1-2 हफ्ते पहले लगाना चाहिए। बाद में, पोटेशियम सल्फेट-आधारित उत्पादों का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
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जब मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा कम हो, तो हमेशा कोई मूलभूत उर्वरक डालें जो मैग्नीशियम युक्त हो । मैग्नीशियम समृद्ध मिट्टी में भी, सभी पत्तियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पत्तों पर छिड़काव वाले उर्वरक डालने का सुझाव दिया जाता है।
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यह सुझाव दिया जाता है कि फॉस्फेट हमेशा बोने के समय के करीब लगाया जाए।
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आमतौर पर, उच्च नमक सांद्रता और नाइट्रोजन के नुकसान से बचने के लिए गाजर में, बराबर विभाजित कर, 3 बार नाइट्रोजन के उर्वरक डाले जाते हैं। हालांकि, सबसे अच्छा तरीका सीआरएफ (नियंत्रित धीमी-पोषण वाले उर्वरक) का उपयोग करना है; उच्च नमक और नाइट्रोजन सांद्रता की सम्भावना के बिना, सीआरएफ को बोने से पहले एक ही बार में डाला जा सकता है और फिर यह पौधों के सारे नाइट्रोजन आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है।
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फर्टिगेशन का प्रयोग करते समय नाइट्रोजन का प्रयोग सप्ताह में एक बार करना चाहिए।